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शासकीय जमीन पर कब्जा! होटल कोर्टयार्ड मैरियट और प्रशासन की साजिश बेनकाब!

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में शासकीय भूमि पर अवैध रूप से खड़ा होटल कोर्टयार्ड मैरियट बिल्डिंग प्रशासन और भ्रष्टतंत्र की मिलीभगत का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। भारतीय संत सनातन धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष ने एक माह पूर्व रायपुर कलेक्टर को लिखित शिकायत देकर कार्यवाही की मांग की थी, लेकिन अब तक कलेक्टर, एसडीएम, नगर निगम कमिश्नर और जोन कमिश्नर की चुप्पी बताती है कि यह पूरा सिस्टम बिक चुका है। आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है इस होटल को? कौन हैं वे ताकतवर लोग जिनकी वजह से प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है?

रायपुर कलेक्टर, एसडीएम, नगर निगम—सबकी चुप्पी में बड़ा खेल!

जब रायपुर टाइमलाइन न्यूज़ की टीम ने रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार से कॉल पर सवाल किया कि होटल कोर्टयार्ड मैरियट की शिकायत संघ द्वारा दी गई थी कि होटल की बिल्डिंग 382/2 शासकीय भूमि पर बनी है, इस पर आपकी क्या राय है? तो उन्होंने जवाब दिया—”अगर शिकायत आई है तो जांच में गई होगी,” इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया। उनका यह रवैया साफ दिखाता है कि वे जवाब देने से बच रहे हैं।

जब होटल कोर्टयार्ड मैरियट को संचालित कर रहे गुप्ता जी से इस पर सवाल किया गया कि होटल शासकीय भूमि पर बना हुआ है और ऑनलाइन रिकॉर्ड में अब भी यह सरकारी जमीन के रूप में दर्ज है, तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। जब उनसे लगातार सवाल किए गए, तो उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा—”देख लेंगे!” यानी, साफ है कि इस पूरे मामले में क्या रसूख और दबंगई का खेल चल रहा है?

इसके बाद नगर निगम जोन 9 के कमिश्नर संतोष पांडे से जब सवाल किया गया कि होटल की बिल्डिंग शासकीय भूमि पर बनी है, फिर इसका नक्शा कैसे पास हुआ? तो उन्होंने कहा—”हमारे जोन बनने से पहले ही यह होटल बन चुका था। यह मामला तहसीलदार और एसडीएम का है, आप उनसे बात करें।” लेकिन जब पहले संघ द्वारा नगर निगम में RTI डाली गई थी, तब भी जोन कमिश्नर संतोष पांडे ने जवाब नहीं दिया था!

जब एसडीएम नंदकुमार चौबे को कॉल किया गया और पूरा मामला बताया गया, तो उन्होंने तुरंत पल्ला झाड़ते हुए कहा—”मैं बाहर हूं, जब आऊंगा तब देख लूंगा।” जब उन्हें यह बताया गया कि शिकायत पहले ही दी जा चुकी है, तब वे भड़क गए और बोले—”बाहर हूं, समझ नहीं आ रहा क्या?” कहकर फोन काट दिया।

पटवारी श्री पवार ने भी गोलमोल जवाब देते हुए कहा—“मुझे कोई जानकारी नहीं है, मैं राजिम कुंभ घूमने आया हूं, ऑफिस में बैठूंगा तब देखूंगा,” और फोन काट दिया।

इसी तरह, जब आरआई एनके वर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा—“मुझे इस पद पर आए सिर्फ दो महीने हुए हैं, इसलिए मैं कुछ नहीं कह सकता।”

क्षेत्रीय तहसीलदार ख्याति नेताम से जब पूछा गया— संघ द्वारा शिकायत की गई थी कि होटल कोर्टयार्ड मैरियट शासकीय भूमि पर बना है, तो उन्होंने भी यही कहा—”मुझे जानकारी नहीं है और मैं अधिकृत नहीं हूं इस पर कुछ कहने के लिए।”

गरीब की झोपड़ी पर बुलडोजर, रसूखदार की बिल्डिंग पर मौन क्यों?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब किसी गरीब की झोपड़ी सरकारी जमीन पर होती है, तो नगर निगम तुरंत बुलडोजर लेकर वहां पहुंच जाता है, लेकिन जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति पूरी की पूरी इमारत शासकीय भूमि पर खड़ी कर लेता है, तो उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? यह दोहरा रवैया साफ दर्शाता है कि कानून केवल गरीबों के लिए है, जबकि रसूखदारों के लिए सरकारी संपत्ति भी लूट का अड्डा बन चुकी है।

प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी—भ्रष्टाचार की कीमत कितनी?

रायपुर कलेक्टर से लेकर एसडीएम, नगर निगम कमिश्नर, जोन कमिश्नर, तहसीलदार और पटवारी—सभी के सभी होटल कोर्टयार्ड मैरियट के मामले में गोलमोल जवाब देकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। आखिर क्यों? क्या इस होटल का मालिक इतना रसूखदार है कि पूरा प्रशासन उसकी जेब में है? जब भी कोई अधिकारी से सवाल करता है, या तो वह “बाहर हूं” का बहाना बनाता है, या गुस्से में जवाब देने से इनकार कर देता है।

FIR की मांग—संलिप्त अफसरों की जांच हो!

अब सवाल सिर्फ होटल के अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि प्रशासन की भ्रष्ट तंत्र से मिलीभगत का भी है। मांग की जाती है कि इस मामले में नगर निगम कमिश्नर, कलेक्टर, एसडीएम और अन्य संबंधित अधिकारियों पर तत्काल FIR दर्ज की जाए और उनकी संपत्तियों की जांच हो। यदि शीघ्र ही कड़ी कार्यवाही नहीं हुई, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि छत्तीसगढ़ में प्रशासन पूरी तरह से भ्रष्टाचार की दलदल में धंस चुका है और कानून की डोर सिर्फ सफेदपोश माफियाओं के हाथ में है!

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