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22 दिन बाद हुआ संदीप लकड़ा का अंतिम संस्कार, परिजनों की आंखें हुई नम

Surguja. सरगुजा। सरगुजा के राजमिस्त्री संदीप लकड़ा का अंतिम संस्कार शनिवार को उनके पैतृक गांव बेलजोरा में हिंदू रीति-रिवाज से किया गया। 8 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा अनिश्चित-कालीन आंदोलन शुक्रवार को खत्म हो गया। अंतिम संस्कार में विधायक रामकुमार टोप्पो, प्रबोध मिंज समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण और आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। बेलजोरा में सुबह से ही फोर्स तैनात कर दी गई थी। ​​​​​दरअसल, ​​सीतापुर थाना इलाके में 3 महीने से लापता संदीप लकड़ा का शव मैनपाट में पानी टंकी की नींच में दफन मिला था। 6 सितंबर को पुलिस ने नल-जल योजना की पानी टंकी को ढहाकर शव बरामद निकाला। पुलिस ने संदीप लकड़ा की हत्या के आरोप में ठेकेदार प्रत्युश पांडेय, गौरी पांडेय सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हत्याकांड का मुख्य आरोपी ठेकेदार अभिषेक पांडेय अब तक फरार है।

संदीप लकड़ा के लापता होने के बाद कई बार शिकायत के बाद भी सीतापुर पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की। शव मिलने के बाद आक्रोशित परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था। हत्या के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी सहित दो करोड़ मुआवजा और पत्नी को नौकरी दिए जाने की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने अनिश्चित कालीन आंदोलन 12 सितंबर से शुरू किया था। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के साथ हुई चर्चा के बाद आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया गया। परिजनों को 25 लाख मुआवजा, पत्नी को कलेक्टर दर पर नौकरी और अन्य घोषणाओं के बाद आंदोलन समाप्त किया गया। शनिवार को अंबिकापुर मॉर्च्युरी में 22 दिनों से रखे शव को निकालकर पुलिस ने बेलजोरा पहुंच परिजनों को सौंपा। बेलजोरा में संदीप लकड़ा का शव पहुंचा। परिजनों ने पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए शव की पेटी को खोलने की मांग की। मौके पर तैनात स्वास्थ्य अधिकारियों ने संक्रमण की आशंका को देखते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। श्रद्धांजलि सभा के बाद हिंदू रीति-रिवाज के साथ संदीप लकड़ा का शव दफन किया गया। अंतिम संस्कार के पूर्व पुलिस बल भी गांव में तैनात किया गया था। हालांकि कोई विवाद की स्थिति नहीं बनीं।

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