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पीएस फोरव्हीलस का संचालक चोरी की गाड़ियों का लाखों रुपए लेकर फरार

संचालक का पार्टनर निकला सबसे बड़ा हवाला कारोबारी

रायपुर। राजधानी के पंडरी थाना इलाके में बिना RTO के अनुमति के गाड़ियों के बॉडी पार्ट्स लगवाने और बेचने का धंधा खुलेआम चल रहा है। दलदल सिवनी इलाके में हो रहा है, जिस गोदाम का नाम पीएस फोरव्हील्स है जिसका संचालक गणेश कुमार यादव आधे से ज्यादा गाड़ियां RTO से बिना परमिट के वहां खड़ी करके रखता है। जब इस मामले कि जानकारी मीडिया को हुई तब मीडियाकर्मी उसके गराज में पुलिस के साथ पहुचे मामले मे पुलिस कि जांच हुई और इसी जांच के बीसग सूत्रों के हवाले से ये सूचना मिली है कि पीएस फोरव्हीलस के का संचालक गणेश कुमार यादव अपने ग्राहकों का लाखों रुपए एडवांस के तौर पर लेकर फरार हो गया है। जिसकी तलाश गणेश कुमार यादव के ग्राहक कर रहे है।

आपको बता दें कि कबाड़ी बाजार में ऐसे कई गोदाम है जहां गाड़ियों के कटान के लिए चोरी की गाड़ी खड़ी रहती है। बीमा कंपनियों द्वारा भंगार में उन्हीं गाड़ियों को दिया जाता है, जो किसी दुर्घटना में 70 प्रतिशत से ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इन्हीं क्षतिग्रस्त गाड़ियों से पूरे देश में गाड़ी चोरी का कारोबार चल रहा है। कुछ वाहनों के इंजन तथा चेसिस भी मिले हैं। पुलिस का कहना है कि उनके पास अन्य गोदामों में भी गाड़ियां खड़ी रखने की सूचना है। उन गोदामों पर भी छापामारी की जाएगी।

गाड़ी चोर एजेंट के भेष में गाड़ी मालिक को 25 से 50 हजार रुपये ज्यादा देने का लालच देता है। इसके बाद वह गाड़ी मालिक से उसकी गाड़ी के मूल कागज ले लेता है और कुछ कागजों पर उससे दस्तखत करवा लेता है। इन कागजों में एक कागज आरटीओ से जुड़ा होता है। यह कागज गाड़ी के एक राज्य से दूसरे राज्य में रजिस्ट्रेशन के ट्रांसफर से जुड़ा होता है। असली खेल इसके बाद ही शुरू होता है। 70 प्रतिशत से ज्यादा क्ष्रतिग्रस्त हुई गाड़ी के सिर्फ कागज ही नहीं, वह क्षतिग्रस्त गाड़ी भी एजेंट के जरिए गाड़ी चोरों को मिल जाती है। इसके बाद उसी मॉडल, उसी कलर की गाड़ी मुंबई में चुराई जाती है। उस चुराई गई गाड़ी को फिर एक गैराज में ले जाया जाता है। उसके इंजन व चेचिस नंबर को कट करके निकाला जाता है और उसमें 70 प्रतिशत से ज्यादा क्ष्रतिग्रस्त हुई गाड़ी के इंजन व चेचिस नंबर को फिट किया जाता है। चूंकि 70 प्रतिशत से ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई गाड़ी के मूल कागज एजेंट के भेष में गाड़ी चोरों तक पहले से ही होते हैं, इसलिए गाड़ी चोरों को मुंबई से दूसरे राज्य में चोरी की गई गाड़ियां भेजने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

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