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पुलिसकर्मी निकला दलाल! सोशल मीडिया पर वीडियो ने मचाई सनसनी

रायपुर। राजधानी रायपुर में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर पुलिस प्रशासन जनता की सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखने के दावे करता है, तो दूसरी ओर उन्हीं के बीच से कुछ पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों को ताक पर रखकर वर्दी की गरिमा को शर्मसार करने में जुटे हुए हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। रायपुर के एक अर्दली आरक्षक का देह व्यापार के गोरखधंधे में लिप्त होना पुलिस विभाग के लिए गहरे सवाल खड़े कर रहा है।

यह मामला तब उजागर हुआ जब रायपुर टाइमलाइन न्यूज़ के हाथ आरोपी आरक्षक का एक आपत्तिजनक वीडियो लगा, जिसमें वह इस अवैध धंधे का संचालन करता दिखाई दे रहा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो सामने आते ही आम नागरिकों में आक्रोश फैल गया। लोग पूछ रहे हैं कि जब कानून के रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे तो आम जनता किससे सुरक्षा की उम्मीद करे?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी अर्दली आरक्षक लंबे समय से देह व्यापार के इस अवैध कारोबार को चला रहा था। वह केवल इस धंधे को संचालित ही नहीं कर रहा था, बल्कि इसमें शामिल महिलाओं और ग्राहकों के बीच दलाली का काम भी करता था। आरोप है कि वह रायपुर के अलग-अलग इलाकों में फ्लैट और लॉज बुक कराकर इस गोरखधंधे को अंजाम देता था। खास बात यह है कि इस पूरे नेटवर्क में कई अन्य प्रभावशाली लोग और पुलिसकर्मी भी शामिल बताए जा रहे हैं, जो इस अवैध कारोबार को संरक्षण दे रहे थे।

पुलिस विभाग की आंतरिक मिलीभगत का खुलासा

स्थानीय नागरिकों और कुछ पुलिस सूत्रों का दावा है कि आरोपी आरक्षक के इस कृत्य की जानकारी पुलिस विभाग के कई अधिकारियों को पहले से थी। लेकिन कार्रवाई की बजाय इस मामले को बार-बार दबा दिया गया। अब जब इसका वीडियो सामने आया और सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, तब जाकर पुलिस विभाग हरकत में आया।

इस मामले ने रायपुर पुलिस की छवि पर गहरी चोट पहुंचाई है। शहर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह घटना विभाग में फैले भ्रष्टाचार और ढीली निगरानी व्यवस्था का नतीजा है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी आरक्षक समेत इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

सवालों के घेरे में पुलिस विभाग

यह मामला केवल एक आरक्षक की करतूत तक सीमित नहीं है। यह एक बड़े सवाल को जन्म देता है—क्या रायपुर पुलिस विभाग के भीतर ऐसे और लोग भी हैं जो इस तरह के अवैध धंधों में लिप्त हैं? यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि अतीत में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां पुलिसकर्मियों पर अपराधियों से सांठगांठ और अवैध कारोबारों को संरक्षण देने के आरोप लगे हैं।सामाजिक संगठनों और जनता की प्रतिक्रियारायपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक मंचों ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि पुलिस विभाग में सख्त सुधार की जरूरत है। उन्होंने मांग की है कि दोषी आरक्षक के साथ-साथ उसके नेटवर्क में शामिल सभी लोगों की पहचान कर सार्वजनिक की जाए और उन्हें कठोर सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी वर्दीधारी इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।

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