
रायपुर। राजधानी रायपुर का वीआईपी रोड, जो कभी शांति और पॉश इलाकों के लिए जाना जाता था, अब अपराध, अश्लीलता और नशे का अड्डा बनता जा रहा है। इस बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण है – हाइपर क्लब। यह क्लब अब केवल मनोरंजन का ठिकाना नहीं, बल्कि रायपुर की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना पर सीधा हमला बन चुका है। यहां रातभर अश्लील डांस, देह व्यापार, विदेशी युवतियों का कैबरे और खतरनाक नशे की खुली बिक्री होती है। इन सबके पीछे है जेम्स बेक और उसका भतीजा टीनू सिंह, जो इस पूरे काले साम्राज्य के मास्टरमाइंड हैं।
जेम्स बेक: सरकारी बाबू से अपराधी तक का सफर
जेम्स बेक कभी छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में बाबू हुआ करता था। आरोप है कि विभागीय घोटालों में लिप्त पाए जाने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद उसने अवैध कमाई के लिए क्लब कारोबार में हाथ डाला। लेकिन यह क्लब सिर्फ डांस और पार्टी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अश्लीलता, देह व्यापार, मादक पदार्थों की बिक्री और अवैध वसूली का संगठित अड्डा बन गया।
जेम्स बेक का साथ दे रहा है उसका भतीजा टीनू सिंह, जो बैकुंठपुर (जिला कोरिया) का निवासी है। दोनों ने मिलकर हाइपर क्लब को राजधानी में अश्लीलता और नशे का गढ़ बना दिया है। सूत्र बताते हैं कि इनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि कई रसूखदार, छुटभैया नेता और कुछ कथित सरकारी अफसर भी इनके ग्राहक हैं।
रातभर चलती गंदी पार्टियां
हाइपर क्लब में आफ्टर पार्टी का समय आधिकारिक तौर पर रात 1:30 बजे तक होना चाहिए, लेकिन यहां यह सुबह 5 बजे तक चलती है। पार्टियों के दौरान जेम्स बेक और टीनू सिंह द्वारा विशेष रूप से बुलवाई गई लड़कियां ग्राहकों को ‘एंटरटेन’ करती हैं। इनमें विदेशी युवतियां भी शामिल होती हैं।
सबसे चौंकाने वाली जानकारी यह है कि इन लड़कियों में से कई एचआईवी संक्रमित हैं। सूत्रों के मुताबिक, जेम्स बेक को इस बात की पूरी जानकारी है, फिर भी वह उन्हें रोज़ाना अलग-अलग ग्राहकों को उपलब्ध कराता है। यह न केवल गंभीर अपराध है बल्कि समाज को मौत के मुंह में धकेलने जैसा कृत्य है।
वसूली के लिए जानबूझकर कराए जाते विवाद
सूत्र बताते हैं कि क्लब के अंदर झगड़े और विवाद कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से कराए जाते हैं। इन विवादों का वीडियो बनाया जाता है और बाद में संबंधित युवाओं को धमकाकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। CCTV फुटेज में साफ देखा गया है कि रात 3 बजे के बाद भी क्लब में अश्लील गतिविधियां, शराब और ड्रग्स का दौर जारी रहता है।
नशे का काला कारोबार: रेट लिस्ट भी फिक्स
हाइपर क्लब के अंदर सिर्फ शराब ही नहीं, बल्कि खतरनाक नशे खुलेआम बेचे जाते हैं। सूत्रों के अनुसार यहां की ‘रेट लिस्ट’ इस प्रकार है –
- एमडीएमए: ₹8000/ग्राम
- ब्राउन शुगर: ₹5000/ग्राम
- कोकेन: ₹18000/ग्राम
- चिट्ठा: ₹10000/ग्राम
- एलएसडी/एसिड: ₹2000/टिकट
- मौली (MDMA टैबलेट): ₹2000/पीस
- हाइब्रिड मरुआना: ₹4500/ग्राम
ये सभी ड्रग्स युवाओं के जीवन को बर्बाद करने वाले धीमे जहर की तरह हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने महंगे और प्रतिबंधित नशे रायपुर तक पहुंच रहे हैं, फिर भी पुलिस-प्रशासन की सक्रियता पर सवाल उठते हैं।
संरक्षण में फल-फूल रहा नेटवर्क
क्लब की गतिविधियों से साफ संकेत मिलता है कि इस पूरे गोरखधंधे को किसी ऊंचे स्तर पर संरक्षण प्राप्त है। ड्रग्स, अश्लीलता और अवैध वसूली का यह संगठित नेटवर्क सिर्फ एक व्यक्ति के दम पर नहीं चल सकता। इसके पीछे सप्लाई चेन, पुलिस-प्रशासन की अनदेखी और राजनैतिक-प्रशासनिक संरक्षण की भूमिका की जांच जरूरी है।
पुलिस-प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
रायपुर में पुलिस कई बार देर रात होटलों और बार में दबिश देकर कार्रवाई का दावा करती है, लेकिन हाइपर क्लब जैसी जगहें कैसे बच निकलती हैं? क्या यह महज संयोग है, या फिर यहां से ऊपर तक ‘मैनेजमेंट’ की सप्लाई होती है? शहर के युवाओं और अभिभावकों में यह चिंता गहरी होती जा रही है कि यदि ऐसे क्लबों पर समय रहते रोक नहीं लगी, तो आने वाले सालों में रायपुर का नाम अपराध और नशे की राजधानी के रूप में दर्ज हो सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रचार: अपराध का नया हथियार
हाइपर क्लब के अंदर के वीडियोज, जिसमें विदेशी युवतियां कैबरे करती हैं, अश्लील डांस होता है और महंगे नशे परोसे जाते हैं – इन्हें चुनिंदा व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स में शेयर किया जाता है। यह न केवल नए ग्राहकों को आकर्षित करने का तरीका है, बल्कि एक ‘ब्रांडिंग’ का हिस्सा भी है, जिससे क्लब का दबदबा बना रहे।
युवाओं पर असर: एक पीढ़ी खतरे में
अश्लील डांस, देह व्यापार और ड्रग्स का यह कॉम्बिनेशन राजधानी की युवा पीढ़ी को सीधे बर्बादी की ओर धकेल रहा है। छात्र, नौकरीपेशा युवा, और यहां तक कि कारोबारी वर्ग के लोग भी इस जाल में फंस रहे हैं। नशे की लत से अपराध बढ़ते हैं, परिवार टूटते हैं और सामाजिक ताना-बाना बिखर जाता है।
कानूनी प्रावधान और संभावित कार्रवाई
भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं, NDPS एक्ट, इमोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट और महामारी रोग अधिनियम (एचआईवी संक्रमण फैलाने के मामले में) के तहत जेम्स बेक, टीनू सिंह और इनके नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन सवाल यही है कि क्या प्रशासन इस पर ईमानदारी से कदम उठाएगा या फिर मामला किसी राजनीतिक ‘सेटलमेंट’ में दब जाएगा?




