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जांजगीर-चांपा: लूटकांड और खेतों में जुआ फड़, पुलिस की चुनौती और जनता का भरोसा

जांजगीर-चांपा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रायपुर में संपन्न 60वीं अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस के पहले दिन पुलिस की छवि सुधारने और जनता का भरोसा जीतने पर जोर दिया। हालांकि, जांजगीर जिले की वास्तविक स्थिति इस सलाह को व्यंग्य में बदल देती है। जिले में न तो 78 लाख रुपये की लूट और गोलीकांड का मामला सुलझा है और न ही खेतों में फैले लाखों रुपये के जुआ फड़ पर लगाम लगी है।

जिला के पिसौद, पीथमपुर और उदयबन के खेतों में शाम चार बजे के बाद जुआरियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ताश की गड्डियां, मोटरसाइकिलों की कतार और लाखों रुपये के दांव दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि पुलिस की गश्त के बावजूद जुआ नेटवर्क लगातार बदलते फड़ के साथ सक्रिय रहता है।

अक्टूबर 2025 में रमन नगर में छापेमारी के दौरान आठ जुआरी और लगभग 20 लाख रुपये बरामद किए गए थे। पामगढ़ और चांपा क्षेत्र में भी खेतों और सड़क किनारे जुआरियों को पकड़ा गया। पीथमपुर गांव में दस जुआरी गिरफ्तार हुए। बावजूद इसके, चुनाव के बाद मुलमुला क्षेत्र में जुआ फड़ फिर से सक्रिय हो गए। एसपी विजय पांडे ने गश्त बढ़ाई है, लेकिन परिणाम सतही हैं। पुलिस के पहुंचते ही फड़ समेट दिए जाते हैं और अगले दिन नई जगह पर खुल जाते हैं।

वहीं जिले का सबसे बड़ा अपराध, 14 जनवरी 2025 की शाम 78 लाख रुपये की लूट और गोलीकांड, आज तक अनसुलझा है। सरकारी शराब दुकान के सामने बदमाशों ने कलेक्शन टीम पर हमला किया, गार्ड को गोली मारी और कैश बैग उठाकर नीली मोटरसाइकिल से फरार हो गए। तत्कालीन एसपी विवेक शुक्ला ने रात में मौके का निरीक्षण किया। आईजी संजीव शुक्ला ने दिशा निर्देश दिए। CCTV फुटेज खंगाले गए, संदिग्धों का हुलिया जारी किया गया और इनाम पांच लाख रुपये तक बढ़ाया गया। इसके बावजूद नौ माह बाद भी अपराधियों का पता नहीं चला।

चार माह तक विवेक शुक्ला एसपी रहे, फिर मई 2025 से आईपीएस विजय पांडे जिले की कमान संभाले, लेकिन कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई। इन दोनों परिदृश्यों से सवाल उठता है कि जब बड़ा अपराध सुलझता नहीं और छोटा अपराध रुकता नहीं, तो पुलिस की छवि कैसे सुधरेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पुलिस को जनता का विश्वास जीतना चाहिए। लेकिन जनता का भरोसा न शब्दों से लौटता है, न वादों से, बल्कि नतीजों से।

78 लाख लूटकांड और खेतों में जुआ फड़, यही जांजगीर की जमीनी तस्वीर है। यह दर्शाती है कि पुलिस की छवि सुधारना सिर्फ गश्त बढ़ाने या पोस्टर लगाने से संभव नहीं। संगठित जुआ नेटवर्क तोड़ना, अपराधियों को पकड़ना और ठोस परिणाम देना ही रास्ता है। जांजगीर पुलिस को दोनों मोर्चों पर निर्णायक कदम उठाने होंगे। लूटकांड सुलझाना, आरोपी गिरफ्तार करना और जुआ नेटवर्क पर स्थायी कार्रवाई करना आवश्यक है। तभी जनता का भरोसा लौटेगा और वही पुलिस छवि मजबूत होगी जिसकी प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर पर बात की थी।

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