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वकीलों की गुंडागर्दी और शर्मनाक हरकतें उजागर, न्याय व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

CG

रायपुर। राजधानी सहित विभिन्न क्षेत्रों में वकीलों की दबंगई और कानूनी पेशे के दुरुपयोग के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक युवक खुद को हाईकोर्ट का वकील बताते हुए आम नागरिकों से बदसलूकी करता नजर आ रहा है। वीडियो में वह न केवल गाली-गलौज कर रहा है, बल्कि धमकी देते हुए अपनी दबंगई भी दिखा रहा है। ऐसे मामलों के बढ़ते ग्राफ से आमजन में भय और आक्रोश व्याप्त है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब कानून के रखवाले ही कानून तोड़ने लगें, तो न्याय की उम्मीद कहां की जाए?

इससे भी अधिक शर्मनाक मामला कुछ वकीलों द्वारा अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर महिलाओं का शोषण करने से जुड़ा है। पीड़िताओं का कहना है कि जब वे न्याय की उम्मीद लेकर उनके पास जाती हैं, तो उन्हें न्याय दिलाने के बजाय अश्लील बातों और अभद्र व्यवहार का सामना करना पड़ता है। आरोप है कि कुछ अधिवक्ता अनुचित तरीके से छूने की कोशिश करते हैं और अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर करते हैं। महिलाओं के अनुसार, वे अपनी स्थिति और रसूख का दुरुपयोग कर पीड़िताओं को डराते-धमकाते हैं, जिससे वे शिकायत करने से भी घबराती हैं।

वकील केवल कानून का जानकार ही नहीं, बल्कि न्याय का रक्षक भी होता है। उसका प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने मुवक्किल को निष्पक्ष और न्यायसंगत सलाह दे, न कि उसका शोषण करे। वकीलों को सत्य, ईमानदारी और पेशेवर नैतिकता का पालन करना चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास बना रहे। उन्हें अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग समाज में न्याय और समानता स्थापित करने के लिए करना चाहिए, न कि कमजोर वर्गों का दमन करने के लिए।वकीलों को चाहिए कि वे महिलाओं, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें, न कि अपने प्रभाव और कानूनी जानकारी का दुरुपयोग कर उन्हें भयभीत करें। अधिवक्ता का धर्म केवल मुवक्किल का पक्ष रखना नहीं, बल्कि सत्य की रक्षा करना भी है। यदि कुछ वकील अपने पद और पेशे का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह न केवल न्यायपालिका के लिए कलंक है, बल्कि पूरे समाज के लिए भी चिंता का विषय है।

ऐसे मामलों में प्रशासन को निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए। कानून को हाथ में लेने वाले वकीलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि न्याय प्रणाली पर जनता का भरोसा कायम रहे। बार काउंसिल और न्यायिक संस्थाओं को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिवक्ता अपने कर्तव्यों से न भटकें। अगर कोई वकील दबंगई, दुर्व्यवहार या शोषण में लिप्त पाया जाता है, तो उसकी वकालत पर प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र उचित समाधान होगा। अपराधियों को संरक्षण देने के बजाय, उन्हें कठोर दंड दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी कानून की मर्यादा न तोड़े।

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