
रायपुर। लाभांडी क्षेत्र में शासकीय भूमि पर होटल कोर्टयार्ड मैरियट का अवैध निर्माण प्रशासनिक मिलीभगत का जीता-जागता उदाहरण है। भारतीय संत सनातन धर्म रक्षा संघ ने इस गंभीर भ्रष्टाचार के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में पूर्व में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन की इस चुप्पी ने सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।
संस्था ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला बिना सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं था। शिकायत के बावजूद अब तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर न कोई जांच हुई और न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई। इससे स्पष्ट होता है कि पूरा मामला दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

संस्था द्वारा प्रस्तुत ठोस साक्ष्यों के अनुसार
1955 के निस्तार पत्र में खसरा नंबर 381, 382 को सार्वजनिक मार्ग के रूप में दर्ज किया गया था।
वर्तमान राजस्व रिकॉर्ड में यह भूमि अवैध रूप से आरके होटलियर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम दर्ज कर दी गई है।
खसरा नंबर 382/2 बी1 अब भी शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है।
उक्त खसरे में स्पष्ट रूप से देहाजा जाने वाले मार्ग का उल्लेख है, जिस पर अवैध रूप से होटल का निर्माण कर दिया गया।
बड़ा सवाल यह है कि सार्वजनिक मार्ग को किसके आदेश पर बदला गया और किसने इसकी अनुमति दी?
शासकीय भूमि पर इस होटल निर्माण की अवैध अनुमति देने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय क्यों नहीं की गई?
संस्था ने कड़े शब्दों में मांग की है कि तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (आरआई), पटवारी, नगर निगम कमिश्नर और जोन कमिश्नर की भूमिका की जांच कर उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
होटल कोर्टयार्ड मैरियट के मालिक आरके होटलियर्स प्राइवेट लिमिटेड पर अवैध कब्जे का मामला दर्ज किया जाए।
पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कर दोषियों को निलंबित किया जाए और सख्त सजा दी जाए।
संस्था ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा। जनता के अधिकारों के संरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई को अंतिम स्तर तक ले जाया जाएगा। अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन अपने कर्तव्य का पालन करता है या फिर भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगा रहता है।




