छत्तीसगढ़

फदहाखार का फेंसिंग घोटाला: जांच टीम ने किया निरीक्षण

फदहाखार का फेंसिंग घोटाला: जांच टीम ने किया निरीक्षण

बिलासपुर। जिला पंचायत की जांच टीम में फदहा खार के फेंसिंग की जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को टीम ने मौके पर जाकर फेंसिंग का निरीक्षण किया और अधिकारियों से पूछताछ की। अब जांच टीम ने अधिकारियों को दस्तावेज और बिल लेकर जिला पंचायत बुलाया है ताकि टेंडर से लेकर भुगतान के दस्तावेजों का भी निरीक्षण किया जा सके। फदहाखार के फेंसिंग घोटाले की जांच करने मंगलवार को जिला पंचायत सदस्यों की दो सदस्यी टीम मौके पर पहुंची। सभापति जितेंद्र पाण्डेय और अंकित गौरहा ने मौके पर जाकर फेंसिंग के कामों को देखा और उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को भी देखा। वन विभाग के इस बात में कोई संदेह नहीं है की फेंसिंग से चोरों ने कई पोल चोरी कर लिए। लेकिन फदहाखार का पूरा कैंपस भगवान भरोसे है। लाखों का काम चल रहा है और शाम होने के बाद यहां रहने वाला कोई नहीं होता। 7 सौ एकड़ का पूरा क्षेत्र एक चौकीदार के भरोसे रहता है।

जबकि कैंपस के चारों तरफ चोरों और नशेड़चियों की पूरी बस्ती है। जांच टीम ने देखा कि विभाग की ओर से किए गए फेंसिंग को चोरों ने तो नुकसान पहुंचाया ही है भ्रष्टाचार ने भी भारी नुकसान पहुंचाया है। फेंसिंग के लिए जो DPC बनाई गई है वह दोयम दर्जे का है, केवल थूक पालिस की गई है। फेंसिंग में जो लोहे का एंगल लगाया गया है वह भी तय मापदंड के अनुसार नही है। लंबाई और मोटाई में कांटा मार दिया गया है। लगभग आधा किलोमीटर क्षेत्र में फेंसिंग ही नही किया गया है। मौके पर मौजूद रेंजर पल्लव नायक और डिप्टी रेंजर जितेंद्र साहू से इस संबंधी में जांच टीम ने पूछताछ की तो बताया कि वन्य प्राणियों के आवागमन के लिए छोड़ा गया है। अब सवाल ये उठ रहा है की जब आधा किलोमीटर क्षेत्र को खुला छोड़ दिया गया है तो बाकी के क्षेत्र में जो फेंसिंग की गई है उसका कोई औचित्य रह जाता है क्या ? क्या वन विभाग जिस मकसद से फेंसिंग कराया है वह मकसद पूरा हो रहा है ? इससे भी गंभीर सवाल ये है की वन विभाग ने साढ़े तीन किलोमीटर की फेंसिंग बताकर 52 लाख रुपए का बिल पास किया है। इस साढ़े तीन किलोमीटर में वह एरिया भी शामिल है जिसे वन्य प्राणियों के आवागमन के लिए छोड़ा गया है ? फिलहाल जांच टीम ने मौके का निरीक्षण करके अधिकारियों से दस्तावेज भी मांगे हैं ताकि मौके पर हुए काम का आकलन दस्तावेज से भी किया जा सके। दस्तावेज से ही पता चलेगा की पोल की लंबाई और मोटाई कितनी है। फेंसिंग तार की हाइट बिल में क्या बताया गया है।

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