
रायपुर। देशभर में आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों, कस्बों और गांवों से आए दिव्यांगजन बीते नौ महीनों से अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में आंदोलनरत हैं। दिव्यांगजन आज भी राजधानी पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बसों में भरकर पुलिस लाइन में हिरासत में रखा।
इस दौरान दिव्यांगजन पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और शहर कांग्रेस अध्यक्ष श्री कुमार मेनन से मिले और उनके समर्थन की अपील की। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के प्रदेश सचिव संतोष कुमार टोण्डे और माला पांडेय ने कहा कि संघ के शिकायती पत्रों में उल्लेखित फर्जी दिव्यांगजनों का राज्य मेडिकल बोर्ड द्वारा भौतिक परीक्षण कर तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि दिव्यांगजन को मिलने वाली मासिक पेंशन 500 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये की जाए और बीपीएल की बाध्यता खत्म की जाए।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में दिव्यांग पेंशन 3000, 4500 और 6000 रुपये प्रतिमाह दी जा रही है, जबकि छत्तीसगढ़ में 500 रुपये ही मिलते हैं। राज्य में 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता वाले कुल 2,76,098 लोग हैं, जिनमें से लगभग 25,000 लोगों के पास फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र हो सकते हैं। यदि 2,50,000 दिव्यांगजन को 5000 रुपये पेंशन दी जाती है, तो शासन पर प्रतिमाह 125 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ आएगा, जो कि महतारी वंदन योजना के 700 करोड़ रुपये प्रतिमाह से कम है।
दिव्यांग सेवा संघ ने मांग की है कि समस्त विभागों में दिव्यांग कोटे के तहत बकाया पदों पर विशेष भर्ती अभियान और विज्ञापन जारी किए जाएं। उन्होंने बताया कि वित्त विभाग ने 31 मार्च 2025 तक भर्ती में छूट दी थी, लेकिन अब तक किसी विभाग ने विज्ञापन जारी नहीं किया। 21 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित दिव्यांग युवतियों को महतारी वंदन योजना में शामिल किया जाए और दिव्यांगता के कारण विवाह न होने पर 5000 रुपये मासिक पेंशन के अतिरिक्त लाभ दिया जाए।
संघ ने यह भी कहा कि सरकारी पदों पर नियुक्त दिव्यांग कर्मचारियों को पदोन्नति में 3 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए और पदोन्नति गणना 1 नवंबर 2016 से लागू की जाए। इसके लिए संबंधित परिपत्र जारी किया जाना चाहिए। कोरोना काल में स्वरोजगार के लिए दिव्यांगजन द्वारा लिए गए निशक्त वित्त निगम के ऋण माफ किए जाएं और बिना गारंटर के लोन उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे ऋण जैसे 15 हजार, 50 हजार या 1 लाख रुपये माफ करना दिव्यांगजन के लिए बड़ी राहत होगी क्योंकि कोरोना काल में उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ।

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राज्य सरकार भी दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार दिव्यांगजन के अधिकार, सम्मान और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सहायता उपकरण, कौशल विकास, रोजगार अवसर, सामाजिक सुरक्षा और अनुकूल वातावरण निर्माण के लिए अनेक योजनाएँ लागू की जा रही हैं।




