छत्तीसगढ़

जश्ने ईद मिलादुन्नबी की तैयारी जोरों पर

जश्ने ईद मिलादुन्नबी की तैयारी जोरों पर

Raipur. रायपुर। जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम समुदाय में खासा उत्साह है। पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब स.अ.व के यौमे विलादत पर शहर को सजाया जा रहा है। पूरे विश्व में मुस्लिम समुदाय ईद मिलादुन्नबी के मौके पर जुलूसे मोहम्मदी खुशी और हरसोल्लास के साथ निकाला जाता है। राजधानी रायपुर में भी मुस्लिम मोहल्लों में आकर्षक विद्युत सजावट की गई है। सोमवार को सुबह 4 बजकर 37 मिनट में सुबह सादिक के वक्त मस्जिदों में सलातो सलाम पेश कर परचम कुशाई की जाएगी और मिठाई भी बांटी जाएगी। फजर की नमाज़ के बाद सुबह 7 बजे विभिन्न मोहल्लों से जुलूस निकाल कर बैजनाथ पारा पहुंच कर जुलुस मालवीय रोड़, जय स्तंभ चौक, जी ई रोड़ होते हुए सत्ती बाजार सदर बाजार से वापस सीरत मैदान पहुंचेगी जहां पर हज़रत अल्लामा अबुल हसन अशरफी मियां कछोछवी परचम कुशाई करेंगे। फिर आम लंगर होगा।

शहर सीरतुन्नबी कमेटी के ज़ेरे एहतेमाम होता है। दिनांक 16 सितंबर 24 बरोज पीर (सोमवार) को मुस्लिम समाज के द्वारा सुबह 7 बजे जुलूसे मोह्हमदी स.अ.व निकाला जाएगा। जिसकी कयादत हजरत सैय्यद अबुल हसन अशरफ मियाँ फरमाएंगे। जुलूस के बाद सीरत मैदान बैजनाथ पारा में परचम कुशाई और आम लंगर का भी एहतेमाम किया गया है। कमेटी द्वारा सीरत मैदान में ही 17 और 18 सितंबर को तक़रीर, 20 सितंबर को आल इंडिया नातिया मुशायरा भी रखा गया है। साथ ही 21 सितंबर को मस्तुरातों का जलसा दोपहर 3 बजे सीरत मैदान में और 22 सितंबर को शहीद स्मारक भवन में बाचों का नातिया प्रोग्राम सुबह 10 बजे से और इस्तेकबालिया प्रोग्राम दोपहर 3 बजे से रखा गया है।

गौरतलब है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के मुबारक मौके पर जुलूसे मोह्हमदी पूरे देश भर में निकाला जाता है और पैगंबर साहब के शांति के पैगाम को जन-जन तक पहुंचाने का समाज और कमेटी का एक प्रयास होता है साथी ही मुस्लिम समाज के लोग अपने घरों और मौहल्लों में सजावट भी करते है और गरीबों को खाना व कपड़ा भी तकसीम करते है। दुनिया में मानवता और इंसानियत का संदेश देने वाले पैग़म्बरे इस्लाम हजरत मोह्हमद साहब का जन्मदिवस जश्ने आमदे रसूल ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार इस साल भी 16 सिंतबर दिन सोमवार को रखा गया है। राजधानी में जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर निकाले जाने वाले जुलूसे मोहम्मदी का जगह-जगह स्वागत और फूल बरसाए जाते है जिसमें विभिन्न संस्थाओं, समाज एवं राजनीतिक पार्टियों के लोग शामिल होकर भाईचारे का संदेश देते है। जुलूस में शामिल धर्मगुरुओं का पुष्पगुच्छ और शॉल देकर गंगाजमुनी तहज़ीब को पेश करते है।

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