
रायपुर। राजधानी के तेलीबांधा थाना क्षेत्र में संचालित हरबंस ढाबा अब मात्र एक भोजनालय नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था का मखौल उड़ाने वाला अड्डा बन चुका है। रात 1:00 बजे तक ही संचालन की अनुमति होने के बावजूद यह ढाबा नियमों को पैरों तले रौंदते हुए रात 3:00 बजे तक धड़ल्ले से चालू रहता है।
बीती रात जब एक जागरूक ग्राहक ने इस अवैध गतिविधि की तस्वीर लेने का प्रयास किया, तो ढाबा संचालक शैंकी आपा खो बैठा। उसने न केवल ग्राहक से बदसलूकी की, बल्कि उसे धमकाते हुए गाली-गलौज भी की। मामला यहीं नहीं थमा – जब एक पत्रकार मौके पर पहुंचा और वीडियो बनाना शुरू किया, तब शैंकी ने पूरी गुंडई पर उतरते हुए पत्रकार के हाथ से मोबाइल छीनकर ज़मीन पर पटककर तोड़ दिया।
यह घटना सिर्फ एक मोबाइल तोड़ने की नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर खुलेआम हमला है। क्या राजधानी में अब सच दिखाने की कीमत मोबाइल तोड़कर, धमका कर और हमला करके चुकानी पड़ेगी?
ढाबा संचालक शैंकी का कहना है कि उसका संचालन समय रात 1 बजे तक है, जबकि हकीकत में ढाबा रात के तीसरे पहर तक ग्राहकों को बैठाकर खाना परोसता है। इससे न केवल सड़क पर ट्रैफिक की समस्या उत्पन्न होती है, बल्कि क्षेत्र में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग रहा है।
सवाल ये है – क्या रायपुर पुलिस और जिला प्रशासन इस गुंडागर्दी से अनजान हैं या जानबूझकर आंख मूंदे बैठे हैं?
हरबंस ढाबा ही नहीं, बल्कि आसपास के तमाम ढाबे सर्विस रोड पर अवैध कब्जा जमाकर रात भर संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति आने वाले समय में किसी बड़ी घटना को न्योता दे सकती है।
मांग की जाती है कि –
ढाबा संचालक शैंकी के खिलाफ तत्काल गिरफ्तारी की कार्रवाई हो।
ढाबे का व्यावसायिक लाइसेंस रद्द किया जाए।
पत्रकार से बदसलूकी और मोबाइल तोड़ने की घटना को गंभीर अपराध मानते हुए उस पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
समूचे क्षेत्र में रात के समय पुलिस गश्त और निगरानी को अनिवार्य किया जाए।
यदि प्रशासन ने अब भी चुप्पी साधे रखी, तो यह साबित होगा कि रायपुर में गुंडों का नहीं, बल्कि पत्रकारों और नागरिकों का मुंह बंद किया जा रहा है।
यह अब सिर्फ एक ढाबे की बात नहीं रही, यह सवाल है कानून, सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आज़ादी का।




