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जज का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, ऐसा क्या कहा? बवाल मचा

नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद में पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कहने का वीडियो वायरल होने के कुछ घंटों बाद इनका का एक और वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वह महिला वकील पर असंवेदनशील और आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो को वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है और सुप्रीम कोर्ट से मामले पर संज्ञान लेने की अपील की है। इस वीडियो में जस्टिस श्रीशानंद एक महिला वकील को विपक्षी पक्ष के वकील से पूछे गए सवाल का जवाब देने पर फटकार लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। जस्टिस श्रीशानंद महिला वकील से कहते हैं कि वह विपक्षी पक्ष के बारे में बहुत कुछ जानती है, और वह अगली बार उसके अंडरगारमेंट्स का रंग भी बता सकती है। दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट में एक मामले को ले कर सुनवाई हो रही थी जिस दौरान उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की है।

वायरल वीडियो की शुरुआत में वह एक पुरुष वकील से पूछते हुए दिखाई देते हैं, “आप सिर्फ इसलिए चेक पर नहीं लिख सकते क्योंकि वह खाली है। वह 3 साल के लिए जेल जाएगा। क्या आप इसे समझते हैं?” वकील जवाब देता है कि वह इसे समझता है। फिर जस्टिस उससे पूछते हैं कि क्या संदर्भित व्यक्ति इनकम टैक्स देता है। पुरुष वकील के जवाब देने से पहले विरोधी वकील, जवाब देती है कि जिस व्यक्ति से सवाल किया जा रहा है, वह आयकरदाता है। इसके बाद जज साहब उन्हें फटकारते दिखते हैं कि वह क्यों जवाब दे रही है। उन्होंने कहा, “रुको अम्मा।” इसके बाद वह जज से माफ़ी मांगती हैं। इसके बाद जस्टिस श्रीशानंद हंसकर कन्नड़ में कहते हैं, “तुम उसके बारे में सब कुछ जानती हो। अगर कल पूछा जाए, तो तुम बता दोगी कि वह किस रंग का अंडरगारमेंट पहनता है।”

जस्टिस श्रीशानंद की मुस्कुराते हुए की गई इस टिप्पणी से उनके सामने बैठे वकील भी हंसते दिखते हैं। अब सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो के खिलाफ भी अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कई लोगों ने जज के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर वीडियो क्लिप पोस्ट करते हुए ट्वीट किया कि जज श्रीशानंद को बताया जाना चाहिए कि लिंग संवेदनशीलता क्या होती है। इंदिरा जयसिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, “हम भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस जज के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने और उन्हें लिंग संवेदनशीलता प्रशिक्षण के लिए भेजने की अपील करते हैं।”

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